Friday, 17 May 2013

त्रीद्लं त्रिगुनाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुतम. त्रीजन्म पापसंहारम एक बिल्व शिव अर्पिन.

त्रीद्लं त्रिगुनाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुतम. त्रीजन्म पापसंहारम एक बिल्व शिव अर्पिन...(शिवपुरी धाम कोटा राजस्थान)ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। सः जूं ह्रौं ॐ
दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कणामृताय शशिशेखरधारणाय | कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || १|| गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय | गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || २|| भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय | ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ३|| चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय | मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ४|| पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय | आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ५|| भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय | नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ६|| रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय | पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ७|| मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय | मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ८|| वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं | सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् | त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् || ९|| || इति श्रीवसिष्ठविरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम्,,

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