Tuesday 21 May 2013

ॐ नम: शिवाय

ॐनम: शिवाय

शिव साक्षात् कल्याण हैं। शिव शुद्ध ब्रह्म हैं। सूर्य की आभा शिव हैं। शिव और शक्ति के प्रभाव से ही सूर्य प्रकाश और ऊष्मा बिखेरने में सक्षम होता है। शिव पराशक्ति हैं। पूरे ब्रह्माण्ड को दो भागों में बांटा गया है-अपरा प्रकृति और परा प्रकृति। अपरा प्रकृति के आठ स्वरूप हैं-भूमि, आप (जल), अनल, वायु, नभ, मन, बुद्धि तथा अहंकार। परा प्रकृति प्राण को कहते हैं, जो आत्मा है और अमर है। इसमें प्रभा-प्रभाकर, शिवा-शिव, नारायणी-नारायणआते हैं, जो परा प्रकृति को जानते हैं। अपरा प्रकृति किसी को नहीं जानती। शिव निराकार हैं, शंकर साकार हैं। शिव जब साकार हो जाते हैं तो गंगाधर, चंद्रशेखर, त्रिलोचन, नीलकंठ एवं दिगंबर कहलाते हैं। ओम का अर्थ है कल्याण रूपी ओंकार परमात्मा। जो शिव निर्गुण निराकार रूप में रोम-रोम में ओम बिराजते, उसी शिव का ध्यान भक्तगण शंकर के रूप में करते हैं। शिव जब सगुण साकार हो कर शंकर बनते हैं तो स्वयं ओम का जाप करते हैं स्वयं की शक्ति में ओज के निमित्त। जैसे सूर्य अपनी आभा में सारी सृष्टि को देखता है, उसी तरह शिव अपनी शिवा में पूरी सृष्टि को देखते हैं। विद्वान संत शिवानन्द स्वामी ने कहा है-
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानतअविवेका।
प्रणवाक्षरमध्य तीनों ही एका॥
गोस्वामी तुलसीदास ने भी शिव और शक्ति को इस रूप में देखा है-
भवानी शंकरौवंदे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।
याभ्यांविनान पश्यंतिसिद्धास्वांतस्थमीश्वर:॥
अर्थात् मैं श्रद्धा और विश्वास के स्वरूप भवानी और शंकर की वंदना करता हूं, जिनकी कृपादृष्टि के बिना कोई भी सिद्ध योगी अपने अंतकरणमें अवस्थितईश्वर को देख नहीं सकता।
शिव की आराधना से आत्मबल में वृद्धि होती है। शिवाराधनमें शुद्धता को महत्व दिया जाता है, जिसका आधार फलाहार है। फलाहार से व्यवहार शुद्ध होता है। हर जीव शिव का ही अंश है और जब वह इसकी आराधना करता है तो अंत:सुखकी प्राप्ति होती है। शिव पूजा के लिए बेलपत्र,धूप, पुष्प, जल की महत्ता तो है ही, मगर शिव-श्रद्धा से अति प्रसन्न होते हैं, क्योंकि श्रद्धा जगज्जननीपार्वती हैं और सदाशिवभगवान शंकर स्वयं विश्वास हैं। श्रावण में शिवलिंगकी पूजा का काफी महत्व है, क्योंकि शिवलिंगभी अपने आप में भगवान शिव का ही एक विग्रह है। इसे सर्वतोमुखी भी कहा गया है, क्योंकि इसके चारों ओर मुख होते हैं। हमारे सतानतधर्म में जो 33करोड देवता हैं, उनकी पूजा शिवलिंगमें बिना आह्वान के ही मान्य हो जाती है। शिव की पूजा वस्तुत:आत्मकल्याण के लिए ही किया जाना चाहिए, न कि सांसारिक वैभव के लिए।
SHIVA HIMALAYA by VISHNU108

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